जौन भक्तन चुनाव से पहिले बड़ा ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’ करत रहें, आज ऊ ‘मोदी मुर्दाबाद’ और ‘मोदी मर गया-हाय हाय’ के नारे लगावत हैं। कहु सच्चे कहत है, जब वाॅट लगत है तभे पिछवाड़ा सुलगत है। आज ई भक्तन के जीएसटी और नोटबंदी से इतना सुलग गवा है के रोडिया पर खुलेआम मोदी जी खिलाफ प्रदर्शन करत हैं। लेकिन ई सबसे हमरे माननीय प्रधानमंत्री जी को कौनो फरक न पड़िहे। ऊ तो जानत हैं अगले चुनाव से का हुई। एही मारे आपन पार्टी खर्च खातिर 20 साल का खार्चा पहिले जुटा लिहिन हईन। अब मोदी भक्तन के कारण पूरे देश की जनता 20 साल तक आपन महनत की कमाई का जनाजा निकलिहे। खैर, ई भक्तन के तो बुझा गइल है, अब कुछ और भक्त बचे हैं।
देश में जीएसटी और नोटबंदी का असर इस कदर व्यापारियों पर छाया हुआ है कि लोग इसके विरोध में किसी भी हद से गुजरने में परहेज नहीं कर रहे है! व्यापारियों ने 2014 में कांग्रेस के खिलाफ इसलिए भी वोट किया था क्योकि भाजपा उस वक्त जीएसटी 14 फीसदी पर भी लागु करने के विरोध में थी. जिसके बाद भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला लेकिन सत्तासीन होने के बाद सत्ता के नशे में इस कदर चूर हुई कि उसको पता नहीं चल पा रहा कि उसने वादा क्या किया था जनता से.
पुरे देश में अलग अलग तरह से विरोध हो रहे है. कभी जीएसटी के नाम पर कभी नोटबंदी के नाम पर. सरकार के एक मुद्दे पर कई बयान सरकार पर विश्वास करने योग्य नहीं छोड़ रहे. जनता खुद को ठगी हुई महसूस कर रही है और एक मात्र रास्ता विरोध को अपना रही है.
देखिये भूतपूर्व भक्तों का विरोध प्रदर्शन:
(नोट : अगर ऊपर लिखी भाषा से किसी की सुलग गई हो तो कृपया 'Home' पर क्लिक करके "बांके बिहारी की खबरिया" का टाइटल पेज देख लें, खुद समझ में आ आजायेगा)
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