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साल 2014 के लोकसभा चुनाव से मोदी जी विकास विकास की रट् लगाये थे। जनता ने उन्हें चुनाव जिता कर देश का प्रधानमंत्री भी बना दिया। लेकिन तीन सालों बाद भी उनसे विकास पैदा नहीं हो सका। बल्कि विकास को कोख में ही मार दिया। युवाओं को बेरोजगार बना दिया। कम उम्र के बालकों की नसों में धर्म के नाम पर जहर भर कर हिंसावाद की राह पर चलना सिखा दिया। देश के अर्थव्यवस्था की वाॅट लगा दी। महंगाई डायन को हम पर खुला सांड की तरह छोड़ दिया और इसी तरह के बहुत सारे कारनामें कर डाले। मेहनत तो बहुत की लेकिन विकास पैदा नहीं कर सके। अब जब विकास पैदा न कर पाने की स्थिति में लोग उन्हें बाज (फेकू) कह कर बुलाने लगे तो विकास का वादा किया था लेकिन इमरजेंसी में जीएसटी को पैदा करना पड़ गया। अंधभक्तों ने खूब बधाई दी, ‘‘मुबारक हो आपके घर छोरी (जीएसटी) पैदा हुई है।’’ लेकिन जिन व्यापारियों ने मोदी को वोट देकर उन्हें प्रधानमंत्री बनाया था उनकी हालत छोरी के बाप जैसी हो गई, कि अब दहेज कहां से दें। तो बेचारे सड़कों पर उतर आये और मोदी मर गया हाय हाय के नारे लगाने लगे।
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