पापी सेना की वर्दी का चोला ओढ़ कर खुद को देशभक्त साबित करने में लगे हैं... - Banke Bihari Ki Khabariya

Hot

Monday 23 October 2017

पापी सेना की वर्दी का चोला ओढ़ कर खुद को देशभक्त साबित करने में लगे हैं...

कहावत है, पाप करो और गंगा नहा लो, तो सारे पाप धुल जाते हैं। लेकिन आज कल सारे पापी पाप करने के बाद भारतीय सेना की वर्दी पहन कर कथित राष्ट्रभक्त बन रहे हैं। पापी भी ऐसे वैसे नहीं, बल्कि वो पापी जो न राजधर्म समझते हैं, न भारतीय संविधान का पालन करते हैं और न ही राष्ट्रपिता को कभी सम्मान देते हैं। लेकिन भारतीय सेना में उनकी ढकोसले वाली दिलचस्पी काफी बढ़ी हुई है। इसके पीछे की वजह भी काफी बड़ी होगी, वरना बिना फायदे के ये ढकोसलेबाज अपने पिछवाड़े की हवा भी न निकलने दें। आईये मिलते हैं कुछ ऐसे ही नटवरलाल कथित राष्ट्रभक्तों से-

loading...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी जी आज देश के प्रधानमंत्री हैं। बतौर प्रधानमंत्री उनको कुछ कहना ठीक नहीं होगा। चाहे भले ही वो देश का बंटाधार क्यों न कर दें। चाहे भले ही वो ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसे जुमले बोल कर कब्रिस्तान-शमशान जैसी हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति क्यों न करें। चाहे भले ही वो 2 करोड़ रोजगार देने के बजाये उल्टा छीन लें। चाहे भले ही वो नोटबंदी और जीएसटी से कुछ को फायदा और पूरे देश की जनता के लिए बड़ी मुसिबतें क्यों न पैदा कर दें। चाहे भले ही वो देश की अर्थव्यवस्था की वाॅट क्यों न लगा दें। लेकिन प्रधानमंत्री रहते उन्हें कुछ बोलना ठीक नहीं होगा। लेकिन जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त जो कुछ गुजरात में हुआ उससे पूरी दुनिया वाकिफ है। उन्होंने राजधर्म को दरकिनार कर हजारों को कत्लेआम करवा दिया। गुजरात की वो घटना भारतीय इतिहास में एक काला धब्बा है।


ग्रैंड मास्टर शिफूजी

इस कथित देशभक्त ने तो पूरे देश की जानता के आंखों में धूल झोंका है। फर्जी सेनाधिकारी बन कर कथित देशभक्ति की आढ़ में खूब माल कमाया। इस लमचूस शिफूजी की जब सच्चाई सामने आई तो यकीन कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। लेकिन आज भी कुछ अंधभक्त और कथित देशभक्त हैं जो इस फ्रोजरी में लिप्त झंडुस शिफूजी को आपना आदर्श मानते हैं।


सुदर्शन के चैहाण साहेब

इनकी क्या बात करना। जिस हिंसावादी संगठन के सिपाही ने देश के राष्ट्रपिता की हत्या की हो और उस संगठन ने अपने सिपाही को बचाने के लिए जीजान लगा दी उस संगठन के ये दूसरे बड़े सिपाही है। इनसे बड़ा कथित देशभक्त तो कोई हो ही नहीं सकता। इनमें और गोडसे में फर्क सिर्फ इतना है कि उसने खुलकर एक निहत्थे पर गोली चलाई थी और ये पत्रकारिता की आढ़ में नफरत फैलाकर संघीय एजेंडे को बढ़ाते हुए पूरे देश में खूनखरेजी करवा रहे हैं। बिना हिन्दू-मुस्लिम के इन साहब की पत्रकारिता अधूरी है। ये आरएसएस के बड़े ही कर्मठ कार्यकर्ता हैं। इसमें कोई शक नहीं कि फंडिंग भी अच्छी ही होती होगी। वरना बिना टीआरपी, बिना एड, बिना किसी मजबूत बैक बिजनेस फाइनेंसियल सपोर्ट के इतने लंबे समय तक चैनल चलाना नामुमकिन है। ये और इनके जैसे पत्रकारिता के स्तंभ पर डोगी की तरह खड़े होकर सूसू करने वाले एजेंट दरअसल देश को दो हिस्सों में बांटना चाहते हैं। ऐसे एजेंट कभी टीवी चैनल पर तो कभी सेना की वर्दी पहनकर खुद को कथित राष्ट्रभक्त दिखाना चाहते हैं।


बाबा गुरमीत राम रहीम


बड़ा ही सुंदर नाम है जिसमें धर्मनिरपेक्षता साफ झलकती है। लेकिन सावधान! बाहर से ऐसा सुंदर नाम रखने वाले अंदर से भी सुंदर हो, यह जरूरी नहीं। बाबा राम रहीम का मामला करीब 15 साल पुराना है। केवल वोट बैंक की लालच में कई सरकारों ने मिलकर उस पापी को संरक्षण दिया। लेकिन कहते हैं, हर पापी का अंत एक दिन हो कर ही रहता है। आज बाबा राम रहीम बलात्कार जैसे कई घिनौने कामों के लिए जेल की सलाखों के पीछे है। लेकिन इस बाबा ने भी दूसरे ढोंगियों की तरह खुद को नैशनल लेवल का कथित राष्ट्रभक्त दिखाने के लिए फिल्म तक बना डाली जिसमें वो खुद भारतीय सेना का वीर सैनिक बना। लेकिन उसकी असलियत सामने आने के बाद पूरे देश सिर शर्म से झुक गया। 


इन्हें देख कर मन में ख्याल आता है। जो न देश का हुआ और न इंसानियत का ही हुआ। लेकिन न जाने ऐसे पापी सेना की पवित्र वर्दी पहन कर उसे गंदा क्यों करते हैं। क्यों अपने पापों को छिपाने के लिए कथित राष्ट्रभक्ति अपनाते हैं। क्यों जबरन वंदे मातरम और भारत माता की जय जैसे नारे जबरन दूसरे लोगों से बुलवाते हैं। देश की जनता को चूतिया बना कर उन्हें एक दूसरे के खिलाफ कर देते हैं। जबकि ऐसे पापियों से भी पूछना चाहिए कि उन्होंने देश के लिए क्या किया? कितना बलिदान दिया? कितना राजधर्म निभाया?

No comments:

Post a Comment